*निलंबित उपनिदेशक यादवेंद्र सिंह ने महिला आईएएस निदेशक से की अभद्रता, कार्यालय में मारपीट का माहौल*

अन्य खबरे , 100

लखनऊ। निलंबित उपनिदेशक यादवेंद्र सिंह यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। बुधवार को इंदिरा भवन स्थित पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के दफ्तर में उन्होंने विभाग की निदेशक (एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी) से न केवल अभद्रता की, बल्कि कार्यालय में मौजूद एक अन्य अधिकारी से हाथापाई की नौबत तक ला दी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यादव जबरन निदेशक के दसवीं मंजिल पर स्थित कक्ष में घुसे और बात-बात में अपशब्दों की बौछार शुरू कर दी। निदेशक द्वारा संयम बरतने और कार्यालय छोड़ने की सलाह देने पर वे और अधिक उग्र हो गए। इसी दौरान उन्होंने एक अन्य उपनिदेशक से भी बदसलूकी की, जिससे कार्यालय में तनावपूर्ण माहौल उत्पन्न हो गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा कर्मियों को हस्तक्षेप करना पड़ा।
ज्ञात हो कि यादवेंद्र सिंह को पूर्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने और सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोपों के चलते निलंबित किया गया था। उनके X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से ऐसे कई पोस्ट सामने आए थे, जिनमें मुख्यमंत्री को 'गोरखपुर का गुंडा' जैसे आपत्तिजनक शब्दों से संबोधित किया गया था। उनके सोशल मीडिया व्यवहार से यह संदेह भी गहराया कि वे शासन में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की विचारधारा के 'स्लीपर सेल' के रूप में कार्य कर रहे थे। घटना के बाद विभागीय कर्मचारियों में भय और आक्रोश का माहौल व्याप्त है। सूत्रों की मानें तो इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय और कार्मिक विभाग को भेजी जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि यादवेंद्र सिंह के विरुद्ध जल्द ही एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब यादवेंद्र सिंह विवादों में आए हों। इससे पहले भी उन पर योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ियों, सेवा आचरण के उल्लंघन और सांप्रदायिक उकसावे से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट करने जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। ताजा प्रकरण ने एक बार फिर से प्रशासन में उनकी भूमिका और नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थिति पर उच्च स्तरीय संज्ञान और कड़ी कार्रवाई की मांग तेज
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अधिकारी वर्ग इस घटना को केवल सेवा आचरण का उल्लंघन नहीं बल्कि प्रशासनिक मर्यादाओं की सीधी अवहेलना मान रहा है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि शासन इस गंभीर घटनाक्रम पर कितना कठोर रुख अपनाता है।

Related Articles

Comments

Back to Top