उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेपर लीक को लेकर पास हुआ कानून
राष्ट्रीय Jul 30, 2024 at 07:53 PM , 94लखनऊ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को पेपर लीक को लेकर कानून पास करा लिया गया है। प्रदेश में नकल माफियाओं पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार ने उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधना का निवारण) विधेयक-2024 पारित किया। यह कानून जांच एजेंसियों की पेपर लीक मामले जांच करने के लिए सहयोगी साबित होगी।
इतने साल की होगी सजा
उत्तर प्रदेश में नकल माफियाओं पर नकेल कसने के लिए विधानसभा में पारित कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें दोषियों के खिलाफ न्यूनतम 2 साल की सजा के साथ उम्र कैद की सजा होगी। इसके अलावा आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है, जिसमें न्यूनतम 2 लाख के जुर्माने के साथ 1 करोड़ रूपए तक का आर्थिक जुर्माना लगेगा। वहीं, अपराध के दोहराने पर दोषियों के खिलाफ 50 लाख रूपए के साथ उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही दोषियों के संपत्ति को भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है।
एजेंसी और संचालकों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई
नए कानून के तहत परीक्षा करवाने वाली एजेंसी और उसके संचालकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं। गौरतलब है कि इसी साल पुलिस भर्ती और आरओ और एआरओ की परीक्षा का पेपर लीक का मामला हुआ था, जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा ( अनुचित साधनों की रोकथाम ) विधेयक, 2024
1, छात्र प्रस्तावित कानून में कारावास या जुर्माने के दण्ड की परिधि में नहीं होंगे उनका परीक्षा परिणाम रोक कर उन्हें एक वर्ष के लिए अगली परीक्षा में भाग लेने से रोक दिया जाएगा;
2,प्रस्तावित विधि के अंतर्गत किसी पद पर भर्ती या नियमितीकरण या पदोन्नति के लिए परीक्षा सहित उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय, आयोग और सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी भर्ती समिति की परीक्षाएं भी आएँगी;
3, इसी में सॉल्वर गैंग, सेवा प्रदाता एवं उससे जुड़े कर्मचारी या एजेंट या ऐसे सेवा प्रदाता की सहायक कंपनी भी आएगी साथ ही परीक्षा प्राधिकरण के अधिकारी तथा कर्मचारी भी आएंगे;
4, नकल, पेपर लीक जैसे अपराधों के अलावा फर्जी वेबसाइट बनाना, फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र जारी करना, फर्जी प्रश्नपत्र को वास्तविक प्रश्नपत्र के रूप में सम्बंधित परीक्षा से पूर्व प्रसारित करना भी अपराध होगा ;
5, परीक्षाओं से जुड़ी किसी भी तरह की गडबड़ी में सम्मिलित होने वालों को कठोर सजा मिलेगी, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी है;
6, यदि पेपर लीक व नकल सहित परीक्षा से जुड़ी गड़बडि़यों में परीक्षा संस्थान या परीक्षा कराने वाली एजेंसी संलिप्त पाई जाती है तो उससे उस परीक्षा का पूरा खर्च वसूला जाएगा। साथ ही उसकी संपत्ति भी कुर्क और जब्त की जा सकती है;
7, अपराध संज्ञेय, गैरजमानतीय एवं सत्र विचारणीय होने के साथ-साथ अशमनीय भी होंगे;
8, किसी अपराध के लिए अभियुक्त को जमानत पर तब तक नहीं छोड़ा जायेगा, जब तक कि लोक अभियोजक को ऐसे आवेदन का विरोध करने का अवसर न दे दिया गया हो;
9, सामूहिक नकल द्वारा प्रश्नपत्रों को किसी भी भांति हल कराया जाय या सहयोग प्रदान किया जाता है, तो उक्त संस्थान को किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को संचालित कराने से निवारित कर दिया जाएगा;
व्यक्ति, संस्था, प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता से परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रबंधन या परीक्षा सामग्री रखने या परिवहन करने के लिए अनुबंध किया है या आदेश दिया है और वह इस अध्यादेश के तहत किसी अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे भविष्य में ऐसे असाइनमेंट के लिए हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा ।
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध ( संशोधन ) विधेयक, 2024
1, प्रदेश में धर्म संपरिवर्तन सम्बन्धी घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोकने और ऐसे अपराध करने वाले अभियुक्तों को कड़ी सजा दिये जाने के दृष्टिगत
2, धर्म संपरिवर्तन के अपराध की संवेदनशीलता, गम्भीरता एवं महिलाओं के सम्मान व सामाजिक प्रास्थिति एवं संगठित एवं सुनियोजित रूप से तथा विदेशी एवं राष्ट्र विरोधी तत्वों एवं संगठनों की अवैध धर्म संपरिवर्तन तथा जनसांख्यिकी (Demography) में परिवर्तन संबंधी गतिविधियों को दृष्टिगत रखते हुए
3, अधिनियम में प्राविधानित जुर्माने और दण्ड की मात्रा में अभिवृद्धि करते हुए अधिनियम की विद्यमान धारा 5 के स्थान पर एक नई धारा प्रतिस्थापित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर न्यूनतम तीन वर्ष तथा अधिकतम दस वर्ष कारावास और न्यूनतम पचास हजार रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है । परन्तु किसी अवयस्क, दिव्यांग, मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति के व्यक्ति के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन किये जाने पर न्यूनतम पांच वर्ष तथा अधिकतम चौदह वर्ष तक के कठोर कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है ;
4, उक्त के अतिरिक्त सामूहिक धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करने पर न्यूनतम सात वर्ष तथा अधिकतम चौदह वर्ष तक के कठोर कारावास तथा न्यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है;
5, उक्त के अतिरिक्त यह भी प्राविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति धर्म संपरिवर्तन के सम्बन्ध में किन्हीं विदेशी अथवा अविधिक संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा तो उसे न्यूनतम सात वर्ष तथा अधिकतम चौदह वर्ष तक के कारावास एवं न्यूनतम एक लाख रूपये के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा ।
6, इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति धर्म संपरिवर्तन करने के आशय से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के भय में डालता है, हमला करता है या विवाह या यौन संबंध स्थापित करता है या महिलाओं की तस्करी या महिलाओं या बालिकाओं को प्रलोभित या अन्यथा तरीकों से विक्रीत करता है या इस हेतु दुष्प्रेरण, प्रयास अथवा षड्यंत्र करता है तो उसे न्यूनतम बीस वर्ष तथा अधिकतम आजीवन कारावास एवं जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
7, ऐसा जुर्माना पीड़ित के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने और पुनर्वास के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा और इसे पीड़ित को संदत्त किया जाएगा ।
8, संशोधन अधिनियम के माध्यम से धारा 7 में संशोधन करते हुए इस अधिनियम के अधीन कारित अपराधों में जमानत के संबंध में कठोर प्राविधान करने संबंधी एक नई धारा अन्त:स्थापित की जा रही है जिसमें बिना लोक अभियोजक को सुने जमानत पर आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
Comments