टेक होम राशन प्लान्टों द्वारा उच्च गुणवत्ता व मानकों वाली सामग्री का तैयार किया जा रहा है पुष्टाहार

जनपत की खबर , 110

लखनऊ: 11दिसम्बर 2024

उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य  द्वारा टी एच आर प्लान्टो की उपयोगिता बढ़ाने व सक्रिय रूप से पूरी गति के साथ संचालित करने के प्रभावी दिशा निर्देशों के क्रम में उत्तर प्रदेश के 43जनपदों में 204 टेक होम राशन प्लांट संचालित किये जा रहे हैं।
टेक होम राशन प्लांट द्वारा पौष्टिक, सुरक्षित, पैकेज्ड, गुणवत्ता सुनिश्चित टेक होम राशन का महिला समूहों द्वारा विकेंद्रीकृत उत्पादन और वितरण किया जा रहा है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित महिला समूहों द्वारा प्रबंधित विकेन्द्रीकृत टीoएचoआरo (टेक होम राशन) इकाइयों की स्थापना राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत की गयी हैं, जिसमे टेक होम राशन का उत्पादन और आंगनवाड़ी केंद्रों तक वितरण महिला समूह की सदस्यों के द्वारा की जाती है। वर्तमान में राज्य में 43 जनपदों में 204 प्लांट स्थापित हैं, जो पुष्टाहार का निर्माण कर नियमित रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों तक वितरण करती हैं।
 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक राज्य में टीoएचoआरo इकाइयों द्वारा 1.48 लाख मीट्रिक टन से अधिक टीoएचoआरo का उत्पादन किया है। विकासखंड से चयनित 18-20 योग्य महिलाओं का एक एoओoपी (एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन्स) बनाया गया है ,जो उत्पादन और वितरण का कार्य करती एवं पुष्टाहार का उत्पादन कर आंगनवाड़ी केंद्रों तक पहुंचाती हैं। टीoएचoआरo इकाइयों द्वारा छह व्यंजन तैयार किए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक विशिष्ट आयु वर्ग के लिए है। यह 12 सूक्ष्म पोषक तत्वों से फोर्टिफाइड है। राज्य की 204 टीoएचoआरo इकाइयों ने 1.08 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में 1.15 करोड़ लाभार्थियों को रेसिपी आधारित टीoएचoआर प्रदान किया है।

 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि मिशन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा,  स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने, लीकेज को दूर करने और आंगनवाड़ी केंद्रों तक समय पर पुष्टाहार उपलब्घ करने में भी प्रयासरत रहा है। आईoसीoडीoएसo योजना और आंगनबाड़ियों द्वारा प्रदान की जाने वाली  सेवाओं में, टेक होम राशन (टीoएचoआरo) / पूरक पोषण सबसे महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक है। टीoएचoआरo का उद्देश्य गर्भवती और धात्री महिलाओं, 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरी बालिकाओं में कुपोषण को कम करना और इसकी रोकथाम करना है।

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