समय का कोई ठिकाना नहीं कब किस करवट बैठ जाए

संपादकीय , 348

14 नवंबर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को नमन जी हां पंडित जवाहरलाल नेहरू लोकतंत्र की मूल अवधारणा के शिल्पी आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरू इतिहास में तमाम कल्पना एवं ऐतिहासिक साक्ष्य ऐसे भी हैं कि हो सकता है नेहरू के समकक्ष कई कद्दावर राजनैतिक व्यक्तित्व... राजगोपालाचारी सरदार बल्लभ भाई पटेल डॉ राजेंद्र प्रसाद बिल्कुल इस पद के दावेदार हो सकते थे पर गांधी ने इन सब से ऊपर नेहरू को रखा एक संपन्न पंडित परिवार से ताल्लुक रखने वाले नेहरू विदेश में पढ़े कानून की पढ़ाई की वह तत्कालिक कांग्रेस के उदारवादी रवैया से नाखुश भी थे अपने पिता को चिट्ठी लिखा करते थे कि पिताजी आप उदारवादी कांग्रेस से अलग हो जाइए और यहां आने के बाद भी उनके अपने पिता से वैचारिक मतभेद रहे फिर उनको गांधी का साथ मिला गांधी के तमाम आंदोलनों में उन्होंने शिरकत की आज का उत्तर प्रदेश उस समय यूनाइटेड प्रोविंसेस था यहां के आजादी आंदोलन की अगुवाई की जिम्मेदारी नेहरू के पास थी कालांतर में कांग्रेसी एक हुए और पूर्ण स्वराज की मांग के साथ आंदोलन आगे बढ़ा तमाम आंदोलनों बलिदानों और देशव्यापी विरोध के अंग्रेजी शासन धीरे-धीरे जर्जर हुआ  देश को आजादी हासिल हुई नेहरू तकरीबन 10 साल विभिन्न आंदोलनों में जेल में भी रहे वैश्विक परिदृश्य में नेहरू का एक सम्मान था अतीत के तमाम विदेशी शासन कालों के बाद देश जर्जर हो चुका था नेहरू ने तमाम औद्योगिक गतिविधियों का संचालन किया भाखड़ा नांगल बांध.. स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया लिमिटेड.. आईआईटी ..आई आई एम.. आदि की स्थापना की यह सब सरकारी संस्थान थे और सरकार द्वारा चलाए गए आज भी उस समय के बनाए हुए आईआईटी और आईआईएम की मेरिट सर्वोच्च रहती है 17 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहने के बाद भी नेहरू में विरोधियों की सुनने की पूरी ताकत थी विरोध को पचाने का हुनर था बाबा नागार्जुन जैसे जन कवि ने नेहरू के सामने उनकी असफलताओं पर खरी खोटी सुनाई नेहरू ने सुना नेहरू बहुत बड़ी लोकतांत्रिक विरासत को सहेज कर चले गए क्या लेकर गए अपने साथ कुछ भी तो नहीआज उनके तमाम पैतृक आवास देश राष्ट्रीय संग्रहालय में तब्दील हो गए जो युवा नेता अपने शैक्षिक जीवन काल में आनंद भवन को टिकट खरीद कर देखा करते थे वह भी आज नेहरू को गरियाते हैं आज देश की व्हाट्सएप और सोशल मीडिया से शिक्षित लोग तमाम तर्कों कुतर्कों के साथ नेहरू का नैतिक पतन करने पर आमादा है पहले राजनीति का एक धर्म था अब धर्म की राजनीति है जिनकी पैदाइश भी आजादी के आंदोलन में नहीं हुई थी वह भी उस समय पर ज्ञान गर्जना कर रहे हैं इतिहास को बदलने की चेष्टा नहीं की जानी चाहिए समय का कोई ठिकाना नहीं कब किस करवट बैठ जाए जब नेहरू और  गांधी ही प्रासंगिक नहीं रहेंगे तो फिर आप अपनी प्रासंगिकता के बारे में तो सोच भी नहीं सकते नमन चाचा नेहरू को बाल दिवस की शुभकामनाएं...

14 नवंबर की तारीख हर साल बाल दिवस के तौर पर मनाई जाती है. इसी दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म हुआ था.पंडित नेहरू को बच्चों से खास लगाव था, इसीलिए बच्चे उनको चाचा नेहरू के नाम से बुलाया करते थे. चिल्ड्रन डे पर स्कूलों में खेलकूद से लेकर अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.क्या आपको पता है कि पहले बाल दिवस 14 नहीं बल्कि 20 नवंबर को मनाया जाता था. लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर 14 नवंबर कर दिया गया. आइए जानते हैं इसके बीच क्या कहानी है.पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ. बच्चों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था. वह बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवन के लिए आवाज उठाते थे.
उनका कहना था कि आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे. जिस तरह से हम उनको लाएंगे. वैसे ही देश का भविष्य तय होगा. आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थान पंडित नेहरू की ही देन है.शायद कम ही लोगों को मालूम होगा कि पहले 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था. लेकिन पंडित नेहरू का 27 मई 1964 को निधन हो गया था.पंडित नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस मनाया जाने लगा. इसकी वजह बच्चों के प्रति उनका खास लगाव था. इसके बाद से उनके जन्मदिन को याद रखने के लिए हर साल 14 नवंबर की तारीख को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है.पंडित नेहरू को श्रद्धांजलि देने के अलावा बच्चों के अधिकारों और उनकी शिक्षा के बारे में जागरुक करने के लिए मनाया जाता है.पंडित नेहरू ने ही कहा था कि आज के बच्चे कल के भारत को बनाएंगे. जैसे हम उनको पालेंगे वैसा ही देश का भविष्य तय होगा.इस दिन स्कूलों में बच्चों के लिए मजेदार गतिविधियां, फैंसी ड्रेस कॉम्पटीशन और कई तरह के मेलों का आयोजन होता है. बाल दिवस बच्चों को समर्पित भारत का एक राष्ट्रीय त्योहार है.

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