सुधीर जी ने दौलत तो बहुत कमाई लेकिन जिंदगी में बिल्कुल अकेले थे

रजतपटल , 467

इनका चेहरा उनके नाम से ज्यादा लोकप्रिय था। सुधीर इनका स्क्रीन नाम था इनका पूरा नाम भगवान दास मूलचंद लूथरिया था लेकिन उनके सहयोगी और मित्र इन्हें प्यार से भागू कहते थे.
   कॉलेज के दिनों में ये सुनील दत्त से जूनियर थे अभिनेता मैक मोहन इनके गहरे मित्रा थे.
   सुधीर ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1960 में आई फिल्म 'बारूद' से सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर की थी उसके बाद ये साल 1961 में आई फिल्म 'उम्र कैद' में नजमा के साथ नजर आए। 
उन्होंने साधना और शशि कपूर अभिनीत प्रेम पत्र (1962) में सुभाष की भूमिका निभाई। वह 1968 में अपना घर अपनी कहानी ( प्यास ) में मुमताज के साथ दिखाई दिए, उन्होंने " जिगर में दर्द कैसा इश्को उल्फत तो नहीं कहते " और हकीकत (1964) से 'मैं ये सोच कर उसके दर से उठा था ', 'मुझे रात दिन ये ख्याल' गाया। है' और ' एक फूल एक भूल' (1968) से 'मेरे दिल पे अँधेरी सा छन लगा' ।
    फिल्म 'एक फूल एक फूल' में पहली बार ये बतौर हीरो नजर आए थे। 1969 में आई फिल्म:उस्ताद 420'  बतौर हीरो इनकी  दूसरी फिल्म थी।
   कुछ फिल्मों में सुधीर ने बतौर साइड हीरो भी काम किया था, और जब इन्हें बतौर हीरो काम मिलना बंद हो गया तो इन्होंने नेगेटिव रोल करने शुरू किए। और इन्हें सफलता भी नेगेटिव रोल में ही मिली।

       वो अक्सर खलनायक अजीत , प्रेम नाथ और प्राण , एक यातना देने वाले पुलिस इंस्पेक्टर या एक कायर व्यक्ति के  सहायक की भूमिका निभाते थे। वो अपनी तीखी आवाज, लंबी मूंछों और साइडबर्न के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते थे। उन्होंने दीवार , कालिया , मजबूर , शराबी , सत्ते पे सत्ता , दोस्ताना , शान और लाल बादशाह जैसी कम से कम एक दर्जन अमिताभ बच्चन की फिल्मों में अभिनय किया । अन्य उल्लेखनीय प्रस्तुतियों में फ़िरोज़ खान की 1974 की हिट खोटे सिक्के , इसके सीक्वल कच्चे हीरे , धर्मात्मा , साथ ही मेरा गाँव मेरा देश , और देव आनंद की हरे रामा हरे कृष्णा (1971) में एक विकलांग चोर की भूमिका , पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिकाएँ शामिल थीं। सुभाष घई की मेरी जंग (1985) और शाहरुख खान अभिनीत बादशाह (1999) में। उनकी आखिरी फिल्म झूम बराबर झूम (2007) और विक्टोरिया हाउस (2009) में थी।
उन्होंने 2003 में सीआईडी ​​में एपिसोडिक भूमिकाएँ भी निभाईं . सुधीर जी ने कुछ फिल्मों में कॉमिक रोल भी किए थे, अपने सिने करियर में इन्होंने 260 से भी अधिक फिल्मों में काम किया।
     अगर सुधीर जी की निजी जिंदगी की बात करें तो इन्होंने 70 के दशक की खूबसूरत और मशहूर मॉडल शीला से शादी की थी शीला एक मॉडल और स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस थी, लेकिन कुछ समय बाद ही दोनों अलग हो गए लेकिन दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया सुधीर जी ने दूसरी शादी नहीं की और उनकी कोई संतान नहीं थी,
   सुधीर जी को रेस खेलने का बेहद शौक था और वो बहुत ज्यादा रेस खेलते थे और किस्मत के धनी भी थे और हर बार जीत भी जाते थे, सुधीर जी ने अपने पैसों को स्मार्ट तरीके से इन्वेस्ट किया और बहुत सारी दौलत और प्रॉपर्टी बनाई लेकिन उन्हें हमेशा इस बात का बेहद मलाल था कि उनकी मृत्यु के बाद इतनी मेहनत से कमाई सारी प्रॉपर्टी और दौलत का क्या होगा. सुधीर जी ने दौलत तो बहुत कमाई लेकिन जिंदगी में बिल्कुल अकेले थे ना कोई ख्याल रखने वाला ना कोई अपना और ना ही कोई उन्हें रोकने वाला था इसलिए वो शराब और सिगरेट बहुत ज्यादा पीते थे, शराब और अत्यधिक सिगरेट के सेवन के कारण धीरे-धीरे उनके फेफड़ों ने काम करना छोड़ दिया  वो लंबे समय से फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित थे अपने जीवन के आखिरी दिनों में बेहद बीमार हो गए थे और 12 में 2014 को वो ये दुनिया छोड़कर चले गए। उनके शानदार अभिनय के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

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