मीनाकुमारी : एक महान अभिनेत्री जिन्हें सदियों तक याद किया जायेगा

हेडलाइंस , 2599

'   50 वीं पुण्य तिथि पर विशेष '
      
मीनाकुमारी : एक महान अभिनेत्री जिसे सदियों तक याद किया जायेगा  

हंस - हंस के जवां दिल के 
हम क्यों न चुने टुकड़ें 
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता 
टुकड़ें - टुकड़ें दिन बीता 
धज्जी - धज्जी रात मिली 
जितना जिसका आंचल था   
उतनी ही सौगात मिली

उपरोक्त पंक्तियां रचयिता की जिन्दगी की असल तस्वीर बयां करती है. हां , हम बात कर रहे है सिनेमा के पर्दे पर अपने शानदार अभिनय से अमिट हस्ताक्षर बन चुकी ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी जी का. मैने अपने बचपन में एक फिल्म देखी थी , नाम त  था - पाकीजा . जब यह फिल्म आई थी यानि साल 1972 अर्थात मेरे जन्म के पूर्व . मैने इसे तब देखा जब मैं शायद छठीं दर्जे का छात्र था. मीना जी के जीवंत अभिनय ने मेरे मन पर जैसे जादू कर दिया जो अभी तक बरकरार है. भारतीय सिनेमा में देविका रानी , मधुबाला , नरगिस , निरूपमा राय , वहीदा रहमान , नूतन , माला सिन्हा , आशा पारिख ,  मुमताज , लीला चिटणीस , रेखा , हेमा मालिनी , जया प्रदा , जया भादुड़ी , परबीन बाबी ,जीनत अमान , श्री देवी , माधुरी दीक्षित ... जैसी अनगिनत अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया लेकिन मीना कुमारी तो बेमिसाल है.

                    माहजबीं जिन मीना कुमारी का असली नाम था , वो अपने माता - पिता की तीसरी संतान थी , ख्वाहिश थी बेटे की लेकिन जन्मी बेटी . बचपन में ' मुन्ना ' नाम से बुलायी जाने वाली मीनाकुमारी जी मतलब से ज्यादा शैतान थी. फिल्म ' करजंदे वतन ' के जरिये उन्होंने बाल कलाकार के रूप में मायानगरी में प्रवेश किया. इसके बाद मीनाकुमारी की कई फिल्में आई लेकिन उनको पहचान मिली ' बैजू बावरा ' से जो  साल 1952 में सिनेमा के रूपहले पर्दे पर प्रदर्शित हुई . फिल्म तो चली ही साथ में इसका एक गाना -  ' तू गंगा की मौज , मैं जमुना की धारा खूब लोकप्रिय हुआ . मीना कुमारी ने संघर्षरत धर्मेंन्द्र की मदद किया . उनको इस जिन्दगी में पग - पग पर धोखा मिला. उनका विवाह हुआ कमाल अमरोही से लेकिन साथ - साथ रहना संभव नहीं हो पाया. उनका दर्द - पीड़ा - उदासी उनकी फिल्मों और रचनाओं में जीवंत हो उठता था .
                               
                    01 अगस्त को 1933 को परतंत्र भारत के बांबे प्रेसीडेंसी में जन्मी मीना कुमारी  मातृ पक्ष से गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के परिवार से संबद्ध थी. उन्होंने परिणीता , दायरा , आरती , दिल अपना और प्रीत पराई  जैसी फिल्मों में पर्दे पर एैसी भूमिका निभायी जैसे वे दर्द को साक्षात जी रही है. कोहिनूर जैसी फिल्मों के द्वारा मीना कुमारी ने अपनी परम्परागत छवि के विपरीत भूमिका  निभायी जिससे उनके अभिनय में विविधता का रंग दिखता है. हिन्दी सिनेमा के इतिहास में ' मील का पत्थर ' साबित हुई महान अदाकारा मीना कुमारी ने घुटन - बेचारगी से भरी इस जिन्दगी को  31 मार्च 1972 को बंबई के सेंट एलिजाबेथ नर्सिग होम में अलविदा कह दिया. उनका पूरा जीवन उपेक्षा , धोखा और फरेब का शिकार था. एैसा लगता था कि वे जैसे मृत्यु का बांह फैलाकर   इंतजार कर रही थी. आज 31 मार्च को उनकी पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित है.

  चाँद तन्हा है , आसमा तनहा   
  दिल मिला है कहां - कहां तनहा 
  राह देखा करेंगा सदियों तक   
  छोड़ जायेंगे ये जहां तनहा   
  
*** नैमिष प्रताप सिंह

... भावपूर्ण श्रद्धांजलि ...????????...

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