देशहित में आवश्यक है कि एक निश्चित आयु सीमा के बाद महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर किसी राजनेता को न बैठाया जाय

संपादकीय , 488

अधिक उम्र के कारण डिमेंशिया, अल्ज़ाइमर तथा अन्य भूलने की बीमारी होने पर ऊंचे पदों पर बैठे राजनेताओं को खुद हट जाना चाहिए या उन्हें हटाने की संवैधानिक व्यवस्था होनी चाहिये ....
सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों को कार्य क्षमता कम होने की वजह से उन्हें एक निश्चित आयु सीमा पूरी होने पर रिटायर कर दिया जाता है, लेकिन राजनीतिक पदों (प्रधानमंत्री,मंत्री,राष्ट्रपति, राज्यपाल,मुख्यमंत्री तथा इसी तरह के अन्य पद) के लिए उम्र की कोई समय सीमा निर्धारित नही है उम्र बढ़ने पर याददास्त कम होती है और अन्य शारीरिक क्षमता पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है  इस तरह के लोग अपने भाषण में ऊलजलूल बाते बोलने लगते हैं  इस समय होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कई प्रमुख नेता बिना सिर-पैर की बातें कर रहे हैं अपनी ज्यादा उम्र के कारण  यह पहली बार नही हो रहा है, लंबे समय से ऐसी बातों को हम नोटिस करते आये हैं बढ़ती उम्र में फैसला लेने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता  है  देशहित में आवश्यक है कि एक निश्चित आयु सीमा के बाद महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर किसी राजनेता को न बैठाया जाय और ऐसा तभी संभव हो सकेगा, जब व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए इसके लिए संविधान में संशोधन किया जाय  आम जनता की ओर से भी यह आवाज़ उठनी चाहिए सरकार से सिर्फ आंख बंद करके हर इच्छा पूरी होने का ख्वाब हम सभी मतदाताओं को नही देखना चाहिए ।

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