आधुनिक रंगमंच के भीष्म पितामह पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा नहीं रहे

राष्ट्रीय , 189

प्रदेश के रंग जगत ने खोया कालजयी रचनाकार, सांस्कृतिक धरोहर के सृजक रहे दया प्रकाश सिन्हा

लखनऊ। आधुनिक भारतीय रंगमंच के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन से साहित्य, रंगकला और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

दया प्रकाश सिन्हा भारतीय रंगमंच के ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने नाट्य विधा को सामाजिक चेतना से जोड़ा। उन्होंने इतिहास, परंपरा और भारतीय अस्मिता को अपने नाटकों में जिस प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया, वह उन्हें कालजयी रचनाकारों की श्रेणी में स्थापित करता है।

रंगमंच और संस्कृति को दिया नया आयाम

प्रदेश में रंगकला, नाट्य मंचन और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन व प्रोत्साहन में उनका योगदान अतुलनीय रहा। उनके निर्देशन और लेखन ने न केवल मंच को समृद्ध किया, बल्कि असंख्य कलाकारों को पहचान और प्रेरणा भी दी।

दया प्रकाश सिन्हा ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक संवेदनाओं को सशक्त स्वर दिया। उनकी कलम ने परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाया।

“दया प्रकाश सिन्हा सिर्फ रंगकर्मी नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा के कथाकार थे।”

 कालजयी विरासत

उनकी कालजयी रचनाएँ, निर्देशन शैली और सृजनशील दृष्टि भारतीय रंगमंच के इतिहास में सदैव अमर रहेंगी। उन्होंने जो बीज बोए, वह आने वाली पीढ़ियों में सृजन की चेतना बनकर जीवित रहेंगे।

Related Articles

Comments

Back to Top