शिव वह ऊर्जा है जो हर जीव के भीतर मौजूद

जनपत की खबर , 2473

लखनऊ।

प्रत्येक माह की कृष्ण त्रियोदशी को शिवरात्रि ही कहा जाता है, इन सभी 12 अथवा 13 शिवरात्रियों मे से दो शिवरात्रि अत्यधिक प्रसिद्ध है। फाल्गुन माह की त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है तथा दूसरी ओर सावन शिवरात्रि जोकि भगवान शिव के पवित्र माह सावन में मनाई जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं। महा शिवरात्रि 2023: शनिवार, 18 फरवरी 2023
  
???? *शिवरात्रि* ????
???????? *वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि (18 फरवरी, शनिवार) का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी  का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है। भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है।*
1⃣ *सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।*
2⃣ *मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।*
3⃣ *हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।*
4⃣ *पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।*
5⃣ *स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।*
6⃣ *नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।*
7⃣ *चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।*
8⃣ *ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।*
9⃣ *लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।*
???? *आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।*
1⃣1⃣ *मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख  प्राप्त होते हैं ।*
1⃣2⃣ *गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।*
      

 ???? *शिवरात्रि के दिन करने योग्य विशेष बातें*
???????? *१. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-*
???? *देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते l*
*कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव ll*
???????? *2. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना....शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख करके जप करना l*
???????? *3. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं l रात को जप करें, ईशान को दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा l जप करते समय झोका आये तो खड़े होकर जप करना l*
???????? *4.  महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये ५ मंत्र बोलें :-*
???? *ॐ हरये नमः*
???? *ॐ महेश्वराए नमः*
???? *ॐ शूलपानायाय नमः*
???? *ॐ पिनाकपनाये नमः*
???? *ॐ पशुपतये नमः*
ब्रह्मांड में एक रहस्यमय ऊर्जा जिससे सब जगत चलायमान है। वैज्ञानिक अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाये हैं। हालांकि, प्राचीन काल के ऋषियों और संतों ने इस अज्ञात शक्ति को शिव कहा है।

शिव वह ऊर्जा है जो हर जीव के भीतर मौजूद है। इस ऊर्जा की वजह से ही हम अपनी दैनिक गतिविधियाँ जैसे सांस लेना, खाना, उठाना, चलना और बैठना कर पाते हैं। यह ऊर्जा न केवल जीवित प्राणियों को चलाती है, बल्कि यह निर्जीव चीज़ों में भी कार्य करती है। इस प्रकार शिव अस्तित्व को संचालित करते हैं।

एक शक्ति है, एक रहस्यमय ऊर्जा जिससे सब जगत चलायमान है। वैज्ञानिक अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाये हैं। हालांकि, प्राचीन काल के ऋषियों और संतों ने इस अज्ञात शक्ति को शिव कहा है।

शिव वह ऊर्जा है जो हर जीव के भीतर मौजूद है। इस ऊर्जा की वजह से ही हम अपनी दैनिक गतिविधियाँ जैसे सांस लेना, खाना, उठाना, चलना और बैठना कर पाते हैं। यह ऊर्जा न केवल जीवित प्राणियों को चलाती है, बल्कि यह निर्जीव चीज़ों में भी कार्य करती है। इस प्रकार शिव अस्तित्व को संचालित करते हैं।..वैसे तो महाशिवरात्रि को लेकर कई कहानियाँ मौजूद हैं। उनमें से कुछ का यहाँ उल्लेख किया जा रहा है।...कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था| ..जब देवता और राक्षस अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था और स्वयं भगवान शिव ने विष पी कर उसे अपने कंठ में रोक लिया था जिस वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था और उनको “नीलकंठ” भी कहा जाता है। विष पीकर उन्होंने सृष्टि और देवतागण दोनों को बचा लिया तो इसलिए भी शिवरात्रि  का उत्सव मनाया जाता है।

एक और किवदंती यह है कि जब देवी गंगा पूरे उफ़ान के साथ पृथ्वी पर उतर रहीं थी तब भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धरा था। जिससे पृथ्वी का विनाश होने से बच गया था। इसलिए भी इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।

ऐसी मान्यता भी है कि भगवान ने शिवरात्रि के दिन सदाशिव जो कि निराकार रूप हैं, उससे लिंग स्वरुप लिया था। इसलिए भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की अराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि वह दिन है जब हम भगवान शिव की अराधना करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन अधिकतर लोग ध्यान, पूजा और शिव भजन गाकर उत्सव मानते हैं। इनमें से कुछ में आप भी भाग ले सकते हैं:

उपवास से शरीर के हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर की शुद्धि होती है| जिससे मन को शान्ति मिलती है। जब मन शांत होता है तब वह आसानी से ध्यान में चला जाता है। इसीलिए, महाशिवरात्रि पर उपवास करने से मन तथा चित्त को विश्राम मिलता है। ऐसी सलाह दी जाती है कि  इस दिन फल अथवा ऐसा भोजन ग्रहण करें जो सुपाच्य हो। महाशिवरात्रि उपवास के बारें में और अधिक जानें |

महाशिवरात्रि की रात को नक्षत्रों की स्थिति, ध्यान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए, लोगों को शिवरात्रि पर जागते रहने और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। प्राचीन काल में, लोग कहते थे, 'यदि आप हर दिन ध्यान नहीं कर सकते हैं, तो साल में कम से कम एक दिन ध्यान अवश्य करें। महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण करें और ध्यान करें।'

महाशिवरात्रि के दिन “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का उच्चारण सबसे लाभदायक है। यह मंत्र तुरंत ही आपकी उर्जा को ऊपर उठाता है।

मंत्र में “ॐ” की ध्वनि ब्रह्मांड की ध्वनि है। जिसका तात्पर्य है प्रेम और शान्ति। “नम: शिवाय” में यह पाँच अक्षर “न”, “म”, “शि”, “वा”, “य” पाँच तत्त्वों की ओर इशारा करते हैं। वह पाँच तत्त्व हैं – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।

“ॐ नम: शिवाय” का जप करने से ब्रह्मांड में मौजूद इन पाँच तत्त्वों में सामंजस्य पैदा होता है। जब इन पाँच तत्त्वों में प्रेम, शान्ति का सामंजस्य होता है, तब परमानंद प्रस्फुटित होता है।

रूद्र पूजा या महाशिवरात्रि पूजा, भगवान शिव के सम्मान में की जाने वाली पूजा है। महाशिवरात्रि के दिन, रूद्र पूजा का बड़ा महत्व है, इस पूजा में विशेष अनुष्ठानों के साथ, वैदिक मंत्रों का उच्चारण भी शामिल है। रूद्र पूजा से वातावरण में सकारात्मकता और पवित्रता का उदय होता है। यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को परिवर्तित कर देता है। पूजा में बैठने से और मंत्रों को सुनने से मन सहज ही गहन ध्यान में उतर जाता है।

शिवलिंग निराकार शिव का ही प्रतीक है। शिवलिंग पूजा में “बेल पत्र” अर्पण किया जाता है। शिवलिंग को “बेल पत्र” अर्पण करना अर्थात  तीन गुण शिव तत्व को समर्पित कर देना | तमस (वह गुण जिससे जड़ता उत्त्पन होती है), रजस (वह गुण जो गतिविधियों का कारक है), सत्व (वह गुण जो सकारात्मकता, रचनात्मकता और जीवन शान्ति लाता है)। ये तीनों गुण आपके मन और कार्यों को प्रभावित करते हैं। इन तीनों गुणों को दिव्यता को समर्पण करने से शांति और स्वतंत्रता प्राप्त होती है।

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