चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरु हो जाता है

हेडलाइंस , 3111

हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2079 की शुरुआत 2 अप्रैल 2022 से होने जा रही है हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन की थी इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरु हो जाता है इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है इसकी शुरुआत महाराज विक्रमादित्य ने की थी, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है आइए जानते हैं विक्रम संवत की शुरुआत कैसे हुई थी और इस वर्ष को लेकर ज्योतिषियों का क्या कहना है।


राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे, जिनकी सहायता से संवत के प्रसार में मदद मिली यह अंग्रेज़ी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, जिसके अनुसार अब 2022+57 = 2079 विक्रम संवत चल रहा है हिजरी संवत को छोड़ कर हर एक कैलेंडर में, जनवरी या फ़रवरी में नए साल का आग़ाज़ होता है भारत में कई कैलेंडर प्रचलित हैं, जिनमें विक्रम संवत और शक संवत प्रमुख हैं
पूरी दुनिया में काल गणना के दो आधार होते हैं सौर चक्र और चंद्र चक्र सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग 6 घंटे लगते हैं देखा जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में, साल में 365 दिन होते हैं, जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेडरों के अंदर, साल में 354 दिन होते हैं।

ज्योतिषियों का मानना है कि 2 अप्रैल 2022 से शुरु होने वाले विक्रम संवत 2079 के राजा शनिदेव हैं इस साल के मंत्री गुरु हैं यह साल उन सभी राशि वाले जातकों के लिए कष्टदायी हो सकता है, जिन पर शनि देव की महादशा चल रही है जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उन्हें विशेष उपाय करने पड़ सकते हैं।

वहीं मकर राशि में शनि देव के साथ मंगल की युति इस साल कई बड़े बदलावों का कारण बन सकती है जिन राशियों पर गुरु की कृपा है और कुंडली में गुरु उच्च स्थान पर बैठे हुए हैं, उनके लिए नववर्ष शुभ फलदायी रहेगा व्यापार और आर्थिक दृष्टि से भी अच्छे योग बनेंगे।

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