*डिजास्टर रेसिलियंट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में आगे आएं इंजीनियर्स*

जनपत की खबर , 130

*- सीएम योगी के निर्देश पर भूकंपरोधी इमारतें बनाने के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर सम्मेलन का किया गया आयोजन* 

*- राहत आयुक्त कार्यालय और सीडीआरआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किया मंथन*

*- प्रमुख सचिव नगर विकास बोले, एंटी डिजास्टर बिल्डिंग के निर्माण पर देना होगा ध्यान* 


*लखनऊ, 14 मार्च:* उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। ऐसे में भविष्य में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर योगी सरकार पहले से सजग है। अभियंताओं और विशेषज्ञों को इसके लिए नए डिजाइन, मजबूती और तकनीकी के इस्तेमाल पर काम करना होगा। इस संवेदनशील स्थिति से निपटने के लिए योगी सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। ये बातें गुरुवार को मॉल एवेन्यू के होटल साराका में राहत आयुक्त कार्यालय की ओर से आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में प्रमुख सचिव राजस्व पी गुरप्रसाद ने कहीं। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राहत आयुक्त कार्यालय और सीडीआरआई द्वारा सेंसटाइजेशन प्रोग्राम ऑन रेसिलियंट इंफ्रास्ट्रक्चर विषय पर आयोजित सम्मेलन में भूकंप रोधी तकनीकों, आपदा के समय बचाव के प्रयास, भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग और नई बनने वाली हाउसिंग सोसाइटी में हरियाली बढ़ाने आदि पर चर्चा की गई। 

*कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद मेंटेनेंस बहुत जरूरी*
सम्मेलन में मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने कहा कि आज के दौर में लोग शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं, जिसे हमें रोकना होगा। वहीं उत्तर प्रदेश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम तेजी से हो रहा है इसलिए आवश्यक है कि भवन आदि निर्माण भूकंपरोधी और एंटी डिजास्टर हो। राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने कहा कि कंस्ट्रक्शन करने से पहले हमे उसके डिजाइन, डाटा डॉक्यूमेंटेशन और संचार पर बेहद ही ध्यान देने की जरूरत है। जब भी कंस्ट्रक्शन पूरा हो तो उसके बाद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण उसका रख रखाव होता है। कई बार इमारतें मेंटेनेंस की कमी के चलते भी कमजोर हो जाती हैं, ऐसे में कभी भी आपात की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इससे बचने के लिए इंजीनियरों का ग्रुप बनाएं, जो कि खुद आगे बढ़कर डिजास्टर रेसिलियंट इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में हमारी मदद करें। हम चाहते हैं कि इस मुहिम को हम आगे ले जाएं, जिससे एक सफल परिणाम प्राप्त हो सके।

*खतरे को लेकर पहले से रहें सतर्क*
सीडीआरआई की एनालिस्ट ट्रेनिंग एंड कैपेसिटी डेवलपमेंट नोनी गुप्ता ने कहा कि भारत में 2018 तक भूकंप से 50 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। ऐसे में सभी इंजीनियर्स को मिलकर नई रणनीति बनानी होगी। सबसे पहले हमें डिजाइन पर ध्यान देना होगा, उसके बाद ऑपरेशन पर फोकस करना होगा। इस दरमियान सभी इंजीनियर ग्राउंड लेवल पर प्रयास करेंगे तो भविष्य में एक मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप होगा। जिओल हैज़र्ड्स इंटरनेशनल के हरि कुमार ने कहा कि हमें हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि जब भी भूकंप आता है तब सबसे महत्वपूर्ण स्थान अस्पताल ही होता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि लखनऊ इस समय जोन 3 में है, इसका मतलब यह नहीं कि यहां खतरा कम है। महाराष्ट्र के लातूर में 13 सितंबर, 1993 में भूकंप आया था। उस समय वह जोन 1 में था परंतु अब वह भी जोन 3 में है। इससे पहले अहमदाबाद में भी जब भूकंप आया था, तब वह भी जोन 3 में था। हिमाचल में 1905 में भूकंप आया, उत्तराखंड के चमोली में 1991 में भूकंप आया था, तब बड़ी तबाही हुई थी। ऐसे में हमें यह सीख लेने की जरूरत है कि अस्पताल के डिजाइन, वहां की जगह, स्थित के अनुसार इंजीनियरों को बहुत ही सोच समझकर अस्पतालों का निर्माण करना है।

*हर विभाग को मिलकर निर्माण पर देना होगा ध्यान*
राहत आयुक्त कार्यालय की परियोजना निदेशक अदिति उमराव ने कहा कि भूकंप रोधी बिल्डिंग का निर्माण कर प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रमुख अभियंताओं को भूकंपरोधी निर्माण के नवाचार के बारे में बताया गया। यह उनके लिये आगे काफी काम आएगा। पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल, डीजी सीओएआई, पूर्व एसओ- सी, भारतीय सेना के एसपी कोचर ने कहा कि ग्राउंड पर काम करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसमें हर विभाग को साथ मिलकर बिल्डिंग के बनाने से पहले उसकी पूरी प्लानिंग करनी होगी और सभी का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। हर विभाग को समय-समय पर रिहर्सल करना चाहिए, जिससे हमें यह पता लग सके कि आपात की स्थिति में निपटने में हम सक्षम हैं या नहीं। सम्मेलन में आवास एवं भवन निर्माण के विशेषज्ञ डॉ. पीके दास, सीडीआरआई की सलाहकार परिवहन क्षेत्र- किरण गौड़ा सहित कई विशेषज्ञ व प्रमुख अभियंता उपस्थित रहे।

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