*परीक्षा के दौरान बच्चों के तनाव को नियंत्रित करने में माता-पिता के सहयोग का महत्व*

हेडलाइंस , 555

*--डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री*

आज तेजी से बदलती दुनिया में छात्रों को अपने शैक्षणिक जीवन के हर पहलू में प्रतिस्पर्धा करनी होती है। ऐसे में शैक्षणिक तनाव माता-पिता और छात्रों के लिए चिंताजनक हो सकता है। शैक्षणिक उपलब्धि और मौजूदा परीक्षा प्रणाली का दबाव और माता-पिता, शिक्षकों, साथियों व परिवार के सदस्यों की अपेक्षाएं छात्रों में खराब मनोवैज्ञानिक स्थितियों को जन्म देता है। इस तरह का तनाव परीक्षा के दबाव के कारण चिंता बढ़ा सकता है, जो परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान और बाद में छात्र को प्रभावित करता है। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिससे छात्र अपने पूरे शैक्षणिक जीवन में जूझते रहते हैं। परीक्षा का तनाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इससे चिंता, अवसाद और अन्य भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं शैक्षणिक विफलता से जुड़ी कुछ प्रत्याशित निराशा या ऐसी विफलता की आशंका के बारे में सोचकर भी उनमें हताशा बढ़ती है। 
छात्र के जीवन में तनाव के कई कारण होते हैं, जैसे बहुत अधिक कार्य, अन्य छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा, असफलता, खराब रिश्ते, पढ़ाई का लगातार दबाव, परीक्षा, भविष्य की योजना आदि। विशेष रूप से परीक्षा के समय में कुछ ऐसे फैक्टर्स होते हैं जो छात्रों में तनाव को जन्म देते हैं। वे इस प्रकार हैं :
i) अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास करें: पढ़ाई में कमी या पारिवारिक दबाव के कारण कुछ बच्चे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव झेलते समय तनाव महसूस कर सकते हैं।
ii) असफल होने का डर: ऐसे बहुत से छात्र हैं जो परीक्षा में असफल होने को लेकर चिंतित होते हैं। इससे वे तनावग्रस्त और चिंतित महसूस कर सकते हैं। यह डर उन छात्रों के लिए विशेष रूप से बढ़ सकता है जो किसी खास तरह के विषय से जूझते हैं या जिन्होंने पहले परीक्षाओं में समस्याओं का अनुभव किया है।
iii) तैयारियों का अभाव: जो छात्र परीक्षा के लिए पर्याप्त रूप से सुसज्जित/तैयार नहीं हैं, वे तनाव और दबाव महसूस कर सकते हैं। यह अध्ययन सामग्री की समझ की कमी, पढ़ाई के लिए समय की कमी या अन्य वजहों से भी हो सकता है।
iv) समय की पाबंदी: परीक्षाओं में अक्सर समय की कमी होती है, जो उन छात्रों के लिए बुरा हो सकता है जो तनाव में काम करने के अभ्यस्त नहीं हैं।
वास्तव में छात्र अपनी सफलता की उम्मीदों, अपने माता-पिता और शिक्षकों की अपेक्षाओं के कारण शैक्षणिक तनाव का अनुभव करते हैं। यह साफ है कि माता-पिता की अपने बच्चों से परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर अपेक्षाएं होती हैं। इससे उन पर दबाव पड़ता है। हालांकि यह कहा जाता है कि परीक्षा से होने वाला थोड़ा तनाव कुछ हद सकारात्मक और कारगर भी होता है क्योंकि यह परीक्षा से पहले बच्चों को सावधानी और सतर्कता बरतने को प्रेरित करता है। परीक्षा के दौरान बच्चों से अधिक उम्मीदें रखना परीक्षा के तनाव/दबाव और खराब प्रदर्शन का आधार बन सकता है।
आमतौर पर यह माना जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों के ज्ञानात्मक, व्यावहारिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपनी भूमिका में माता-पिता बच्चों को सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों और समाज के मूल्यों से परिचित कराते हैं। इसका उद्देश्य उन्हें समाज की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ भविष्य के लिए तैयार करना है।
बच्चों पर शैक्षणिक आकांक्षाओं के सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव का मार्गदर्शन और प्रबंधन करने में माता-पिता की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। माता-पिता कुछ शारीरिक, सामाजिक, व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक चीजों को पहचानकर अपने बच्चों को परीक्षा के दबाव से निपटने में मदद कर सकते हैं। 
बच्चों में परीक्षा के तनाव के लक्षणों को पहचानना
यह संभव है कि युवा लोग परीक्षा के दबाव और तनाव पर चर्चा करने में सहज महसूस नहीं करेंगे, लेकिन माता-पिता अपने बच्चों में तनाव के किसी भी लक्षण को देख सकते हैं और उनसे इसके बारे में बात कर सकते हैं। शैक्षिक या अकादमिक दबाव का पता लगाना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है, खासकर अधिक परिपक्व बच्चों में जो दबाव में होने के बाद भी उसे महसूस न होने देते हैं या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता में कमी रखते हैं। यहां तनाव के कुछ सबसे आम लक्षण हैं जो बच्चों में शारीरिक (जैसे, सिरदर्द, दांत पीसना, उच्च रक्तचाप, अपच, थकान, अनिद्रा), मनोवैज्ञानिक (जैसे चिंता, चिड़चिड़ापन, असंवेदनशीलता, क्रोध, मनोदशा में बदलाव, अवसाद की वजह से होने वाली असहायता स्थिति, निराशा) और व्यवहार संबंधी लक्षण (जैसे, भूख न लगना, टालमटोल का व्यवहार, लोगों से खुद को काट लेना/अकेलापन, व्यक्तिगत साफ-सफाई को नजरअंदाज करना) शामिल हैं।
बच्चों में परीक्षा के तनाव या दबाव को नियंत्रित करने में माता-पिता की भूमिका
माता-पिता के रूप में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक जो आप कर सकते हैं वह है जितना संभव हो उतना समझदार और सहयोगी बनें। उनसे संवाद करें और उन्हें याद दिलाना सुनिश्चित करें कि उनके जीवन में और भी महत्वपूर्ण अवसर हैं। ये परीक्षाएं हमारे जीवन का सिर्फ एक हिस्सा भर हैं। उन्हें बताएं कि आप हमेशा उनके साथ रहेंगे। आप स्वाभाविक रूप से चाहेंगे कि बच्चे अच्छा प्रदर्शन करें, लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो आप उन्हें दोष नहीं देंगे।
• परीक्षा से पहले और परीक्षा के दौरान बच्चे के व्यवहार व भावनाओं के प्रति सचेत रहें।
• अपने बच्चे के साथ आपसी विश्वास बनाएं।
• माता-पिता अपने बच्चों को बताएं कि वे बिना किसी शर्त उनका सकारात्मक रूप से ध्यान रखते हैं।
• यदि वे किसी प्रकार की परेशानी महसूस करते हैं तो आपको बताने के लिए उनको प्रोत्साहित करना होगा।
• स्वस्थ और विविध संबंधों को लेकर उन्हें प्रेरित करें।
• खुद को प्रसन्न रखने से संबंधी शारीरिक गतिविधि, अच्छा पोषण और आराम के लिए प्रेरित करना होगा।
• परिवार और दोस्तों के प्यार एवं सहयोग से अपने बच्चे को कठिन समय से निकलने में उसकी क्षमता को याद दिलाएं।
• उपयुक्त सह-पाठ्यचर्या संबंधी अभ्यास चुनने में अपने बच्चे की सहायता करें।
• यदि आपका बच्चा चुनौतीपूर्ण परीक्षा देने जा रहा है या पहले ही दे चुका है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ाना न भूलें।
• बच्चों की बातों को गंभीरता से सुनें और सकारात्मक विचारों के साथ उनकी सहायता करें।
• घर का माहौल सुखद और स्थिर बनाए रखें।
***

Related Articles

Comments

Back to Top