मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है

जनपत की खबर , 722

गंगे तव दर्शनात् मुक्ति: भारत की विलक्षण, अनादि, सनातन और समृद्ध संस्कृति को नमन......
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रान्ति के महापर्व के साथ प्रयागराज में गंगा यमुना सरस्वती के संगम पर साधु-सन्तों का महासंगम उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवम् कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप परिजनों सहित स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों, ऐसी मंगलकामना मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर बधाई एवं शुभकामनाऐं...

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते I
विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति॥
माघ मास इतना पवित्र है कि इसमें प्रत्येक जलकुंड का जल गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने-नहाने वाले मनुष्य पापमुक्त होकर स्वर्गलोक जाते हैं माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से होती है अतः सभी पापों से मुक्ति व भगवान की प्रीति प्राप्त करने के लिये प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान व्रत करना चाहिए इसका प्रारंभ पौष की पूर्णिमा से होता है 
माघ मास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहां कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है इस मास की प्रत्येक तिथि पर्व है माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के रूप में प्रसिद्ध है माघ शुक्ल पंचमी अर्थात् वसंत पंचमी को सरस्वती मां का आविर्भाव-दिवस माना जाता है शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी कहते हैं ऐसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्यपर्व है तथापि उनमें भी माघी पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है माघ-स्नान के लिये प्रातः तिल,जल,पुष्प,कुश लेकर संकल्प करे फिर निम्न प्रार्थना करें
दुःखदारिर्द्यनाशाय श्रीविष्णोस्तोषणाय च।
प्रातःस्नानं करोम्यद्य माघे पापविनाशनम॥
मकरस्थे रवौ माघे गोविन्दाच्युत माधव।
स्नानेनानेन मे देव यथोक्तफलदो भव॥
दिवाकर जगन्नाथ प्रभाकर नमोह्यस्तुते।
परिपूर्णं कुरूष्वेदं माघस्नानं महाव्रतम॥
माघमासमिमं पुण्यं स्नाम्यहं देव माधव।
तीर्थस्यास्य जले नित्यं प्रसीद भगवन् हरे॥
माघमास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहां-कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है फिर भी प्रयाग, काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों व नदियों में स्नान का बड़ा महत्त्व है साथ ही मन की निर्मलता व श्रद्धा भी आवश्यक है माघ मास में कड़ाके की ठंड पड़ती है और जनजीवन में निष्क्रियता व्याप्त हो जाती है ऐसे मौसम में सुबह स्नान करने को एक धार्मिक कृत्य बनाकर हमारे मनीषियों ने सक्रिय जीवनशैली की आधारशिला रखी है यह एक स्वाभाविक तथ्य है कि सुबह स्नान के पश्चात व्यक्ति निष्क्रिय होकर नहीं बैठ सकता माघ स्नान शरीर को हर तरह के मौसम का सामना करने लायक बनाने का उपक्रम भी है।

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है इस साल यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा इस दिन लोग गंगा या अन्य पावन नदी में स्नान कर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं इस दिन दान पुण्य करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है मकर संक्रांति के दिन काले तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते हैं इसके साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने की भी प्रथा चली आ रही है जानिए इस दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी...
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा सालों से चली आ रही है कहा जाता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और हरी सब्जियों को एक साथ पकाने की सलाह दी थी तबसे इस दिन खिचड़ी खाने और बनाने का रिवाज चला आ रहा है खिचड़ी को पौष्टिक आहार के रूप में भी ग्रहण किया जाता है मकर संक्रांति के दिन जगह जगह खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है इस दिन बाबा गोरखनाथ मंदिर में भी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है....

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